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मीडिया ख़बरों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा दो अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा जी कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसला सुना सकते हैं। इन महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक विषय है राम मंदिर का। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच को यह फैसला सुनाना बाकि है कि नमाज इस्लाम धर्म का आंतरिक हिस्सा है या नहीं। लेकिन राम मंदिर के टाइटल सूट पर अभी फैसला नहीं आएगा।दोस्तों 28 सितंबर 2018 को फैसला सुनाए जाने की हम सब को पूरी उम्मीद है। सन 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम धर्म का आंतरिक हिस्सा नहीं है। इससे यह साफ स्पस्ट होता है कि इस बार भी इसी पर फैसला आना है।
सन 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ये भी फैसला दिया था कि राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखा जाए। दोस्तों इसका मतलब यह है कि हिंदू धर्म के लोग वहां पर पूजा कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की बेंच ने 20 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब दोस्तों टाइटल सूट से पहले जन्मभूमि के फैसले को काफी अहम माना जा रहा है।
आपको बता दें कि सन 1994 के फैसले में पांच जजों की पीठ ने यह कहा था कि अयोध्या में बनी मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम धर्म का इंट्रीगल पार्ट नहीं है।
सन 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टाइटल सूट मामले में एक तिहाई जमीन हिंदू, एक तिहाई जमीन मुस्लिम और एक तिहाई जमीन रामलला को दे दी थी। लेकिन इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है।

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